विंशोत्तरी दशा कैलकुलेटर से जानिए ग्रह दशा फल :- वैदिक ज्योतिष के अनुसार

हमारे जीवन में ग्रह दशा बदलती रही है ग्रह दशाओं को ज्ञात करने की विंशोत्तरी दशा पद्धति मुख्य्तः सटीक व् प्रमाणिक है। विंशोत्तरी दशा से आपके भविष्य की समयबद्ध जानकारी प्राप्त की जाती है। प्रायः ज्योतिष द्वारा आपकी ग्रह दशा का आंकलन विंशोत्तरी दशा से ही होता है आप यहाँ विंशोत्तरी दशा कैलकुलेटर से अपने जीवन का संपूर्ण ग्रह दशाफल प्राप्त कर सकते है। आप इस ग्रह दशा की जानकारी पूर्णतः विश्वास कर सकते है। विंशोत्तरी पूर्ण दशा चक्र 120 वर्षो का होता है। विंशोत्तरी दशा में 9 महादशा होती है और प्रत्येक महादशा में 9 अन्तर्दशा होती है हमारे जीवन में कई प्रकार की ग्रह दर्शाये होती है जैसे महादशा, अन्तर्दशा व् प्रत्यन्तर्दशा ये दर्शाये हमारे जीवन को काफी प्रभावती करती है। व्यक्ति अपने जीवनकाल में सभी प्रकार की विंशोत्तरी दशाओं का अनुभव नहीं कर पाता है। ग्रह महादशा से भविष्य की जानकारी प्राप्त होती है परन्तु महादशा,अन्तर्दशा व् प्रत्यन्तर्दशा के एक साथ विश्लेषण से जीवन की आने वाली घटनाओ का समय भी ज्ञात किया जा सकता है। ग्रह की महादशा आपको शुभ फल या अशुभ देगी यह आपके लग्न और महादशा सम्बंधित ग्रह की कुंडली में स्थिति आदि का विश्लेषण कर ज्ञात कर सकते है।
आप अपनी जन्म तारीख से अपने संपूर्ण जीवन की विंशोत्तरी ग्रह दशाओ को प्राप्त कर सकते है



ग्रह दशा के आधार पर किसी व्यक्ति के भविष्यकाल में होने वाली घटनाओ की भविष्यवाणी की जाती है। योगकारक ग्रह या राजयोग से सम्बंदित ग्रह की महादशा आंरभ होने पर शुभ योग सक्रिय हो जाते है जो जीवन में अच्छे फल प्रदान करते है। ग्रहो का फल उनके दशाकाल में विशेष रूप से अनुभव होता है ग्रहो के बलाबल से ग्रह द्वारा बनाये गए योगो की शक्ति का निश्चय होता है। किसी भी ग्रह की महादशा न ही पूरी तरह से अच्छी होती है न ही पूरी बुरी यह महादशा कारक ग्रह की प्रबलता पर भी काफी हद तक निर्भर करता है। महर्षि पराशर द्वारा ज्योतिष शास्त्र में ग्रह दशा ज्ञात करने की 42 पद्धति दी जिनमे विश्मोत्तरी दशा सबसे प्रचलित व् सटीक मानी गयी है। विंशोत्तरी एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ 120 होता है अतः विंशोत्तरी दशा का सम्पूर्ण काल 120 वर्ष है। विंशोत्तरी दशा पद्धति में ९ ग्रहो के लिए अलग-अलग वर्ष तय किये गए है जिन्हे उस ग्रह की महादशा कहते है यदि व्यक्ति की सभी ग्रहो की महादशा को जोड़ दिया जाये तो पूर्ण विंशोत्तरी दशा अर्थात 120 वर्ष काल प्राप्त होंगे। माना जाता है विंशोत्तरी दशा उस कालखंड के मनुष्यो की आयु के आधार पर होती थी जो अब घटकर आधी रह गयी है अतः आज के समय में मनुष्य अपने जीवन में कुछ ही ग्रहो की महादशा को प्राप्त करता है। विंशोत्तरी दशा में 9 ग्रहो की महादशा होती है प्रत्येक ग्रह की महादशा का समयकाल निर्धारित है। विंशोत्तरी दशा में ग्रह क्रम केतु की महादशा से शुरू होकर बुध की महादशा में ख़त्म होता है जो की इस प्रकार है किसी व्यक्ति की प्रारम्भिक महादशा किस ग्रह की होगी। यह उस व्यक्ति की लग्न कुंडली में चंद्र ग्रह की स्थिति पर निर्भर करता है।

महादशा

हमारे जीवन का प्रत्येक कालखंड किसी ग्रह के प्रभुत्व में अवश्य होता है जिससे व्यक्ति के उस जीवनकाल में वह ग्रह सबसे प्रबल व् प्रभावपूर्ण होता है जिसे उस ग्रह की महादशा कहते है। ग्रह की महादशा निर्धारित वर्षो में बदलती हैं। यह महादशा कैलकुलेटर आपकी वर्तमान महादशा दशा की सटीक गणना करने में सक्षम है। ग्रह महादशा का आंकलन कुंडली में चंद्रमा की नक्षत्र में स्थिति के आधार पर किया जाता है। ज्योतिष में २७ नक्षत्रों होते है प्रत्येक ग्रह ३ नक्षत्रों का स्वामी होता है अतः व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में विद्यमान है उस नक्षत्र के स्वामी ग्रह की व्यक्ति के जीवन की प्रथम महादशा होती है। महादशा 9 ग्रहों में विभाजित है 9 ग्रहों की महादशा को जोड़कर 120 वर्ष की पूर्ण जीवनकाल की महादशा होती है। ग्रह महादशा में ग्रह फल कुंडली का लग्न, ग्रह की शुभ-अशुभ स्थिति, भाव, राशि और अन्य पहलू पर निर्भर करता है कुंडली विश्लेषण कर ग्रह महादशा का सही दशाफल प्राप्त कर उसके अनुरूप की उपाय करने चाइये। नौ ग्रह महादशा की अवधि व् क्रम इस प्रकार है।

ग्रह महादशा अवधि नक्षत्र स्वामी
केतु 7 वर्ष अश्विनी, मघा, मूला
शुक्र 20 वर्ष भरणी, पूर्व फाल्गुनी, पूर्व अषाढा
सूर्य 6 वर्ष कृत्तिका, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तरा अषाढा
चंद्र 10 वर्ष रोहिणी, हस्ता, श्रावण
मंगल 7 वर्ष मृगशीर्ष, चित्रा, धनिष्ठा
राहु 18 वर्ष आर्द्र, स्वाति, शतभिषा
गुरु 16 वर्ष पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व भद्र
शनि 19 वर्ष पुष्य, अनुराधा, उत्तरा भद्रा
बुध 17 वर्ष अश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती

व्यक्ति के जीवन की प्रथम ग्रह महादशा का क्रमानुसार अगले ग्रह की महादशा प्रारम्भ होती है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति का जन्म नक्षत्र अनुराधा है तो उसके जन्म की समय शनि की महादशा होगी तथा ग्रह महादशा क्रम उपरोक्त सारणी के अनुसार शनि,बुध,केतु,शुक्र,सूर्य,चंद्र,मंगल,राहु,गुरु होगा।

अंतर्दशा

अन्तर्दशा एक ग्रह महादशा में 9 अन्तर्दशा होती है। प्रत्येक ग्रह की १ अन्तर्दशा होती है। जिस ग्रह की महादशा आरम्भ हो उसी ग्रह की प्रथम अन्तर्दशा भी होती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र की महादशा शुरू हुई है तो शुक्र से ही अन्तर्दशा प्रारम्भ होगी।

विंशोत्तरी दशा का क्रम महादशा>अन्तर्दशा>प्रत्यंतर दशा है। आप इस महादशा अन्तर्दशा कैलकुलेटर से ग्रह दशाओ की गणना कर सकते है।

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