गंडमूल नक्षत्र (gandmool nakshatra) को ज्योतिष में अशुभ नक्षत्र माना जाता है। यदि चन्द्रमा रेवती, अश्विनी, श्लेषा, मघा, ज्येष्ठा तथा मूल नक्षत्रों में से किसी एक नक्षत्र में स्थित हो तो व्यक्ति का जन्म गंडमूल नक्षत्र में हुआ माना जाता है अर्थात उसकी कुंडली में गंडमूल दोष (gandmool dosh) की उपस्थिति मानी जाती है। इस नक्षत्र में पैदा हुए बच्चे अशुभ हैं और जीवन में विभिन्न बाधाओं और समस्याओं का सामना करते हैं, इसलिए पूजा की जानी चाहिए। कुछ लोगों का मानना है कि नवजात शिशु मातृ चाचा, पिता, मां इत्यादि जैसे करीबी रिश्तेदारों के लिए अशुभ है। गंडमूल पूजा बचपन में जल्दी होनी चाहिए।
बुध और केतु ग्रह इन गंडमूल नक्षत्रो के स्वामी है। यदि ये ग्रह व्यक्ति की कुंडली में शुभ है व् व्यक्ति इन गंडमूल नक्षत्रो में से किसी नक्षत्र में पैदा हुआ है तब यह गंडमूल दोष व्यक्ति के जीवन में अच्छा परिणाम देता है इसलिए ऐसा नहीं नहीं की गंडमूल दोष हमेशा ही बुरे परिणाम देता है यह दोष अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग हो सकता है।
जन्मतिथि से गंडमूल दोष (gandmool dosh)चेक करे।
गंडमूल नक्षत्र में से केतु अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्रो के स्वामी है आईये जानते है इन नक्षत्रो में जन्म लेने वाले व्यक्तियों पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जैसा की आप जानते है अश्विनी एक गंडमूल नक्षत्र है और हर नक्षत्र के ४ पाड़ा होते है अश्विनी नक्षत्र के १ पाड़ा में पूर्वजन्म के कर्मो के कारण ये एक अशुभ पाड़ा है और व्यक्ति के पिता को भी समस्या हो सकती है इसीप्रकार मघा नक्षत्र के प्रथम पाड़ा में जाने व्यक्ति को माता सम्बन्धी समस्या हो सकती है। मूल नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मे व्यक्ति को जीवन में एक बार बड़े संकट का सामना करना पड़ सकता है गंडमूल पूजा से इसके प्रभाव को काम किया जा सकता है। बुध अश्लेषा , ज्येष्ठा , रेवती नक्षत्र के स्वामी है। अश्लेषा गंडमूल नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों को सम्पति के व्यय होने की समस्या होती है ऐसा व्यक्ति अपने भाई बहनो के लिए में विपरीत होता है व्यक्ति की माता पिता को समस्याओ का सामना करना पड़ता है। ज्येष्ठा नक्षत्र को पूर्णरूप से पुर्जन्म के पापो के कर्मो के फल के रूप में देखा जाता है।
उपचार (remedies): गंडमूल मूल अश्विनी, मूल, या मग में पैदा हुए: नियमित रूप से भगवान गणेश की पूजा करें, बुधवार या गुरुवार को ब्राउन कपड़े दान करें। व्यक्ति के जन्म के 27 वें दिन बाद शांति पूजा किया जाना चाहिए, और जब तक शांति पूजा नहीं की जाती तब तक पिता को बच्चे का चेहरा नहीं देखना चाहिए गंडमूल अशलेषा, ज्येष्ठ और रेवाती में पैदा हुए: बुधवार को हरी सब्जियां, धनिया, पन्ना, भूरे रंग के बर्तन, और आमला दान करें। शिशु पूजा बच्चे के जन्म के 37 वें दिन किया जाना चाहिए, लेकिन 10 वीं या 1 9वीं दिन भी किया जा सकता है। यदि ऐसा करना संभव नहीं है, तो चंद्रमा जन्म नक्षत्र स्थिति में लौटने पर शांति पूजा करें।।
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