वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा एक महत्वपूर्ण ग्रह है। चंद्रमा ग्रह व्यक्ति की माता और मन को दर्शाता है। ज्योतिष में चंद्रमा को शीतल व् स्त्री ग्रह माना गया है। चंद्र ग्रह हमारे शरीर के जल तत्त्व को नियंत्रित करता है यह तत्व जीवन में आराम और शांति के लिए अति आवश्यक है।चंद्र ग्रह कर्क राशि का स्वामी है और सूर्य व् बुध इसके मित्र ग्रह है। चंद्रमा किसी भी ग्रह से शत्रु संबंध नहीं रखता। नक्षत्रों की बात करे तो यह रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी होता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा की महादशा दस वर्ष होती है। चंद्रमा की गति अत्यधिक तेज़ होती है व् गोचर की अवधि देखे तो यह एक राशि से दूसरी राशि में लगभग दो से कुछ अधिक समय में संचरण करता है। चंद्रमा हमारे मन से सीधे तौर पर संबंध रखता है आप यह भी कह सकते है ज्योतिष में चंद्रमा मन का कारक होता है क्योंकि माता तथा मन दोनों ही किसी भी व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्त्व रखते हैं, इसलिए कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति कुंडली धारक के लिए अति महत्त्वपूर्ण होती है। व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में विराजमान होता है वही उस व्यक्ति की जन्म राशि कहलाती है। राशिफल के लिए चंद्र ग्रह को ही महत्व दिया गया है। आइये जाने चंद्र ग्रह से जुडी और महत्वपूर्ण जानकारी
कुंडली में चंद्रमा के मजबूत होने पर व्यक्ति अच्छे मानसिक स्वास्थ्य, भावनाओ पर नियंत्रण रखे वाला, सजक, रिश्तो को सजोए रखने वाला होता है। व्यक्ति कार्यो भर्मित नहीं रहता व् माता का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। चंद्रमा के सकारात्मक प्रभाव से जीवन में खुशियाँ व् सुख शांति का समावेश होता होता। यह मन की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है व्यक्ति आकर्षक व् साहसी होता है। व्यक्ति की यात्रा करने में रूचि होती है व् सिद्धांतों को महत्व देता है। चंद्रमा के प्रभाव से व्यक्ति संवेदनशील होता है और भावनाओ की समझ होती है। व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा प्रबल होने से व्यक्ति का मनोबल अधिक होता है व् अपने कार्यो की आत्मविश्वास से करता है जिससे वह अपने कार्यो में सफलता प्राप्त करता है। इसी प्रकार यदि व्यक्ति की चंद्रमा कमजोर होने पर उसके आत्मबल में कमी रहती है व्यक्ति क्रोधी व वह अपने वाणी पर नियंत्रण नहीं रख पाता है। व्यक्ति मानसिक तौर पर परेशान रहता है जिससे उसके जीवन में शांति नहीं रहती है। व्यक्ति की स्मृति कमज़ोर हो जाती है। माता जी को किसी न किसी प्रकार की दिक्कत बनी रहती है। व्यक्ति को नींद संबंधी विकार, मांसपेशियों में ऐंठन, शुष्क त्वचा, अल्सर, मानसिक बेचैनी हो सकती है।
ऋग्वेद में चंद्रमा को व्यक्ति के मन का स्वामी बताया गया है। चंद्रमा भगवान शिव के जटा पर विराजमान है भगवान शिव चंद्रमा के स्वामी है अतः भगवान शिव की पूजा करने से चंद्रमा को मजबूती मिलती है चंद्रमा का दिन सोमवार होता है। शास्त्रों में चंद्रमा को बुध का पिता माना है और दिशाओं में यह वायव्य दिशा का स्वामी होता है।
मन अशांत रहना, चिड़चिड़ापन व् मानसिक अवसाद रहना
व्यक्ति को बिना कारण चिंता डर की समस्या रहती है
स्त्री पक्ष से मानसिक परेशानी हो सकती है है
साँस सम्बंधित समस्याओ से भी इंकार नहीं किया जा सकता है
जल का असंतुलन बना रहता है व् उसकी त्वचा शुष्क हो जाती है
मन स्थिर नहीं रहता है और मानसिक तनाव बना रहता है
व्यक्ति की बायीं आँख अचानक कमजोर हो जाती है
माता से वाद-विवाद होता है
घर में जल की समस्या हो जाना चन्द्र के अशुभ होने के कारण हो सकता है
नींद न आने की समस्या होती है व्यक्ति नींद में चौंक जाता है।
कार्य में देरी, रोजगार की समस्या, व्यापर में नुकसान आदि।
माता की सेवा करे और प्रतिदिन उनके पर छूकर आशीर्वाद ले।
भगवान शिव पूर्ण श्रद्धा भाव से नियमित पूजा करे
दूध,पानी व् चावल का दान करे
बेईमानी लालच धोखा देने व् झूठ बोलने की प्रवर्ति से दूर रहें
रात के समय दूध ना पीयें
घर में पानी किसी स्थान पर भी पानी का भराव नहीं होने दें
वट वृक्ष की जड़ में पानी दें
चांदी व् मोती धारण करें
बडे़-बूढो का आशीर्वाद लेते रहे
भैरव मन्दिर में दूध चढाएं।
धर्म स्थान या मन्दिर में नियमित सर झुकाए।
रत्न |
रुद्राक्ष |
यंत्र |
रंग |
जड़ |
कार्यक्षेत्र |
रोग |
जानवर |
जगह |
सम्बंधित चीज़ें |
मोती |
दो मुखी रुद्राक्ष |
चंद्र यंत्र |
सफेद |
खिरनी |
जल, पेयजल, दूध दही माखन, पेट्रोल, मछली, टूरिज्म, आईसक्रीम, ऐनीमेशन |
सिरदर्द, तनाव, डिप्रेशन, भय, घबराहट, दमा, रक्त से संबंधित विकार, मिर्गी के दौरे, पागलपन |
कुत्ता, बिल्लू, सफेद चूहे, बत्तक, कछुआ, मछली आदि |
पानी से जुड़े स्थान |
सब्जी, गन्ना, शकरकंद, केसर, मक्का, चांदी, मोती, कपूर,रसदार फल |
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