बृहस्पति ग्रह की ज्योतिषीय जानकारी और जीवन पर प्रभाव

बृहस्पति ग्रह शुभ व् परोपकारी ग्रह है सभी ग्रहो में सूर्य के पश्चात सबसे विशाल ग्रह है ये हीलियम और हाइड्रोजन के मिश्रण से बना है। बृहस्पति लगभग १२ वर्षो में सूर्य का एक चक्कर पूरा करते है। बृहस्पति शिक्षा के कारक ग्रह है इन्हे वेदों में गुरु की संज्ञा दी गयी है अतः बृहस्पति को ज्योतिष में गुरु ग्रह भी कहते है। बृहस्पति देवताओं के भी गुरु है प्रमुख रूप से गुरु की भांति ही मानव को जीवन को धर्म की राह पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु बृहस्पति का हमेशा से ही मानव जाती के लिए दया भाव रहा हैं। वेदो में कहा है की बृहस्पति देवताओं से मनुष्यो के लिए वार्ता कर मानवता की दुष्टो से रक्षा करते है।

बृहस्पति धन, प्रसिद्धि, सफलता, धर्म, भाग्य और संतान का भी प्राकृतिक कारक है। यदि राशियों की बात की जाये तो बृहस्पति धनु और मीन राशियों के स्वामी ग्रह हैं व्यक्ति का धार्मिकता की ओर झुकाव होना बृहस्पति ग्रह की गूढ़ प्रवृति हैं व्यक्ति की वेदो के पाठन, पूजा, धार्मिक अनुष्ठानो, मंदिरो में नियमित जाने में रूचि होती हैं इन सभी पूजा-पाठ का उदेशय अंततः व्यक्ति के अंदर बसी ईश्वरीय शक्ति के कण के दर्शन ही तो हैं।

बृहस्पति ग्रह के बारे में बुनियादी जानकारी

मित्र ग्रह: सूर्य, चंद्र, मंगल

शत्रु ग्रह: बुध, शुक्र

सम ग्रह: शनि

राशि स्वामी: धनु, मीन

मूलत्रिकोण राशि: धनु 0॰-10॰

उच्च राशि: कर्क 5॰

नीच राशि: मकर 5॰

दिशा: उत्तर-पूर्व

लिंग: नर

शुभ रत्न: पीला नीलम, सुनहरा पुखराज

शुभ रंग: पीला रंग नींबू, हल्का नीला

शुभ अंक: 3, 12, 21

देवता: इंद्र, शिव, ब्रह्मा, भगवान् नारायण

वैदिक मंत्र: देवानां च ऋषीणां च गुरुं काञ्चनसन्निभम्। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्॥

दान: सोना, पुखराज, माणिक्य, चने की दाल, नमक, हल्दी, गुड़, पीला कपड़ा या लड्डू।

मुख्य गुण: बृहस्पति एक आध्यात्मिक और दार्शनिक ग्रह है, जो विस्तार और गरिमा का प्रतीक है। यह आध्यात्मिकता और ज्ञान प्रदान करता है। यह एक आदर्शवादी ग्रह है ।

बृहस्पति ग्रह की विशेषता

बृहस्पति ज्ञान और स्वास्थ्य का प्रतीक है इनका हमें जीवन, गति और चेतना प्रदान करने में बहुत योगदान हैं जो पृथ्वी पर जीवन को गतिशील रखती हैं। बृहस्पति देवता के गुरु व् धार्मिक होने के बावजूद एक पृथ्वी से जुड़ा ग्रह हैं। जो उनकी शरण में आने वाले व्यक्तियों को संसार में सभी प्रकार की जरूरी समृद्धि आशीर्वाद के रूप में प्रदान करते हैं जिससे वे धर्म के मार्ग में चलते हुए संतोष से अपना जीवन व्यापन करें परन्तु ऐसा भी नहीं हैं की बृहस्पति में प्रभाव में व्यक्ति के जीवन में कोई परेशानी होगी ही नहीं। बृहस्पति हमें सीखकर विकसित होने के कई अवसर प्रदान करते है ये विकास भौतिक या आध्यात्मिक दोनों प्रकार के हो सकते है। गुरु ग्रह का संबंध मूलतः ज्ञान और उत्तम जीवन से है, लेकिन इनके अर्थ को सही रूप में समझे बिना इस ग्रह के प्रभाव को पूरी तरह अनुभव नहीं किया जा सकता। कुंडली के २,५,१०,११ भावो के कारक ग्रह बृहस्पति है ये अधिकतर शुभ परिणाम ही देते है दूसरे भाव में धन में बढ़ोतरी करते है पाँचवे भाव में संतान व् शिक्षा सम्बंदित अच्छे परिणाम मिलते है इसी प्रकार जिस भी भाव में हो उससे जुड़े विषयो का विस्तार होगा

बृहस्पति आतंरिक मुद्दों की तुलना में बाह्य मुद्दों (शारीरिक) के प्रति अधिक सजक हैं क्योकि स्वस्थ व्यक्ति धार्मिक कार्यो को करने के योग्य रहेगा इससे अभिप्राय ये हैं की स्वस्थ सुरक्षित व् पोषित होने पर व्यक्ति का ध्यान स्वतः ही जीवन की गहरी सच्चाई को जानने की ओर अग्रसर होगा। बृहस्पति पवित्र वेदो और ज्ञान का सागर हैं जो उनके अंदर समाहित हैं।

गुरु ग्रह का संबंध मानव कल्याण और धार्मिक भावना के उदय से है। यह भौतिक जीवन के महत्व को कम नहीं करता, बल्कि उसे स्वीकार करता है। गुरुत्व का प्रभाव न केवल शारीरिक सुख-समृद्धि से जुड़ा होता है, बल्कि आत्मा के धार्मिक रूपांतरण से भी जुड़ा है। यह जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है। ऐसा व्यक्ति सृजन के हर रूप में ईश्वर को देखता है। उसके लिए ईश्वर के लिए कार्य करना ही मानवता की सेवा करना है। यह कहा जा सकता है कि गुरु ग्रह आत्मा और भौतिकता के बीच सेतु का कार्य करता है। वास्तव में यह एक अत्यंत जीवंत और ऊर्जावान प्रवाह है, जो मानव जीवन के पोषण, विस्तार और आध्यात्मिक रूपांतरण के लिए कार्य करता है।

कुंडली में बृहस्पति का स्थान और प्रभाव

बृहस्पति अत्यंत शुभ और सात्त्विक ग्रह हैं परन्तु मंगल जैसा तीव्र उत्साह जो जीवन अप्रत्याशित उच्चाई दे या शुक्र जैसी अति आनंद स्थिति भी नहीं प्रदान करता हैं। बृहस्पति के प्रभाव धीरे-धीरे व्यक्ति के जीवन में उसके अच्छे कर्मो के फलस्वरूप अच्छे अवसर के तौर पर प्राप्त होते हैं व् किसी अप्रिय घटना से भी सुरक्षित होता हैं। प्रसार बृहस्पति ग्रह की विशेषता हैं अतः यह कुंडली के जिस भाव से जुड़े होते हैं उससे सम्बन्धित विषयो का प्रसार करते हैं हालांकि यदि कुंडली भाव जैसे ६ और ८ के भी अच्छे बुरे विषयो प्रसार करते हैं। जो ऊर्जा हमें सूर्य, चंद्र, मंगल आदि ग्रहो से अपने जीवन उदेश्यो को परिपूर्ण करने के लिए प्राप्त होती हैं उसकी सुरक्षा भी बृहस्पति करते हैं। बृहस्पति हमारी अंतरआत्मा को विभिन्न कठिनाइयों से बचाकर आतंरिक विकास करने में सहायक हैं।

बृहस्पति एक विशाल ग्रह हैं जो आयुर्वेद में कफ से जोड़े गए हैं। बृहस्पति के प्रभाव से व्यक्ति का शरीर भारी भरकम हो जाता हैं इनका विराजित कुंडली भाव से सम्बंधित अंगो के स्वास्थ्य पर काफी असर रहता हैं। कुंडली के पंचम भाव में उपस्थित गुरु अच्छा माना जाता हैं क्योकि यह भाव रचनात्मकता से जुड़ा हुआ हैं अतः व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हो उसकी रचनात्मक इच्छा को बढ़ाकर उसे इन रचनात्मक चीज़ो को पूर्ण करने के ढेर सारे अवसर प्रदान करता हैं हालांकि बृहस्पति की पंचम भाव में उपस्थिति संतान प्राप्ति के लिए अच्छी नहीं हैं यह उपस्थिति व्यक्ति का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर करेगी व् वह भौतिक बंधनो की से मुक्त होने की ओर अग्रसर होगा। नवें भाव में बृहस्पति सबसे अच्छा माना जाता हैं व्यक्ति प्रशंसनीय कार्यो को करता हैं व् फलस्वरूप अच्छे परिणाम भोगता हैं इस भाव होने पर व्यक्ति की प्रतिष्ठा, शारीरिक स्वास्थ्य, धार्मिक कार्यो के लिए तत्परता व् रचनात्मकता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। लग्न में बैठा हुआ बृहस्पति व्यक्ति को स्वस्थ शरीर प्रदान करने के साथ धार्मिक भी बनाता हैं।

कुंडली में बृहस्पति के साथ चंद्रमा का संबंध अति शुभ संयोगो में से एक माना जाता हैं यह व्यक्ति की जीवन में समृद्धि और सभी परेशानियों का हल प्रदान करता हैं इस स्थिति से व्यक्ति का मन शुद्ध रहता हैं व् उसके कार्यो में सही मार्गदर्शन प्राप्त होता हैं अधिकतर व्यक्ति को अपने किये गए कर्मो से दुःख प्राप्त नहीं होता मंगल व् सूर्य के साथ गुरु अच्छा होता हैं शनि और बृहस्पति का संबंध तनावपूर्ण हैं इसी प्रकार राहु व् केतु ग्रह के साथ भी बृहस्पति में सद्भाव नहीं हैं जो इसकी श्रेष्ठता को प्रभावित करते हैं।

जब बृहस्पति ग्रह शुभ स्थिति में हो:

यदि ग्रह शुभ स्थिति में हो, तो विवेक, स्थिरता, एकाग्रता और ध्यान की प्रवृत्ति देखी जाती है। ज्ञान और सुख सरलता से प्राप्त होते हैं व् व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलने वाला तथा नियमो का पालन करने वाला होता है, व्यक्ति में दयालुता, सदाचार तथा आशावादिता होती है। स्वभाव उदार और स्पष्टवादी होता है। उच्च स्तर की तर्कशक्ति और उचित निर्णय की क्षमता होती है, साथ ही व्यक्ति मिलनसार, उदार, प्रसन्नचित्त, समृद्ध और अच्छे स्वास्थ्य वाला होता है।

जब बृहस्पति ग्रह अशुभ स्थिति में हो:

यदि ग्रह अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति में अतिवादिता, अत्यधिक उदारता, फिजूलखर्ची, दिखावा, अति आशावाद, लापरवाही, ऋण, विवाद, सट्टे में हानि, धार्मिक कट्टरता, गलत निर्णय और गलत गणना की प्रवृत्ति हो सकती है। व्यक्ति को कार्य में सफलता पाने के लिए अत्यधिक मेहनत की आवश्य्कता पड़ती है व् उसकी प्रगति में उतार चढ़ाव लगे रहते है। रोगों में यकृत संबंधी विकार, कूल्हे की चोटें, पित्ताशय की पथरी, हर्निया, मधुमेह और त्वचा संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।

बृहस्पति ग्रह फलकथन

यदि ज्योतिष के फलकथन की बात करें तो बृहस्पति ग्रह व्यक्ति के ज्ञान की सीमा, सदाचार, संतान, धार्मिक कार्यो, सलाह देने में निपुणता, दरियादिली, स्वभाव में उदारता, समृद्धि, भगवान् में श्रद्धा, पूंजी, वैवाहिक जीवन, प्रतिष्ठा व् दया आदि को दर्शाता हैं ये सभी गुण बृहस्पति ग्रह के स्वाभाविक गुण हैं। वही विपरीत परिस्थितियों में बृहस्पति से सम्बंधित स्वास्थ्य समस्याएं जैसे पेट फूलना, लिवर में समस्या, हर्निया, अंगो में पानी का जमाव, फोड़ा या दिमाग में खून का जमाव इत्यादि उपन्न हो सकती हैं। बृहस्पति के कारण होने वाले कष्टों को मंत्रों, अनुष्ठानों और ब्राह्मणों को दान इत्यादि के द्वारा शीघ्र ही शांत किया जा सकता है। बृहस्पति ग्रह को लोग आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं मनुष्यो के शारीरिक अंग में जांघ, पित्ताशय की थैली, अग्न्याशय, नितंब, शरीर में वसा की मात्रा, किसी प्रकार की आंतरिक गांठ आदि इनके ही अंतर्गत आते हैं। पेशों में वकील, शिक्षक, प्रकाशक, संपादक, अभिनेता, बैंकर और पुजारी शामिल हैं। धन ब्राह्मणों की सहायता से, नैतिकता, धर्म या बैंकिंग के माध्यम से प्राप्त होता है।