मंगल ग्रह ज्योतिष में विशेष जानकारी और प्रभाव
मंगल ग्रह को भगवान कार्तिकेय का रूप बताया जाता है जो अग्नि व् पृथ्वी से जन्मे है। मंगल मानसिक सक्रियता के साथ-साथ देहबल, संगठनात्मक दक्षता, स्वावलंबन, दृढ़ संकल्प, महत्त्वाकांक्षा एवं नेतृत्व क्षमता का विकास करता है। मंगल को सभी ग्रहो में प्रधानसेनापति की उपाधि दी गयी है। मंगल ग्रह मेष व् वृश्चिक राशि के स्वामी है इनका रंग लाल व् रत्न मूंगा है। मंगल ग्रह का सम्बन्ध जीवो में गर्म गतिशील रक्त से है जो हर प्रकार के जीवो को फैलने-फूलने के योग्य बनाता है। मंगल के प्रभाव से आतंरिक विचार, छुपी हुई योग्यता का बाह्य प्रकटीकरण होता है वह अंदरूनी सच बहार आता है जो जीवन की चेतना से जुड़ा है।
मंगल ग्रह एक ओर सृजनात्मक अग्नि का साक्षात रूप है जो अजेय शक्ति प्रदान करता है तथा दूसरी ओर विवाह की तीव्र इच्छा देता है परन्तु समय से रिश्ते की परिपूर्णता नहीं हो पाती। एक्सीडेंट्स, उग्र भाषण, लाल रंग मंगल ग्रह के अंतर्गत आते है। मंगल व्यक्ति में आवेगशीलता, शौर्य, बल, वीरता का प्रतीक है। यह भौतिक और आध्यात्मिक दोनों पहलुओं पर कार्य करता है कार्यो में गतिशीलता इसका मुख्य स्वभाव है कार्यो में सुस्ती ये कभी बर्दाश नहीं करता है। मंगल व्यक्ति की शक्ति और दृष्टि की इंद्रि को दर्शाता है। मंगल के प्रभाव में व्यक्ति धन धातुओं, सोने, भोजन पकाने, भूमि के अधिग्रहण, लड़ाई और जासूसी जैसे कार्यों से अर्जित करता है। हमारा सिर, बाया कान, खून, मांसपेशी तंत्र, गर्भाशय, पेल्विक, प्रोस्टेट आदि मंगल ग्रह के अंतर्गत आता है।
मंगल ग्रह के गुण
मित्र ग्रह: सूर्य, चंद्र, बृहस्पति
शत्रु ग्रह: बुध
सम ग्रह: शनि, शुक्र
राशि स्वामी: मेष, वृश्चिक
मूलत्रिकोण राशि: मेष 0॰-12॰
उच्च राशि: मकर 28॰
नीच राशि: कर्क 28॰
दिशा: दक्षिण
लिंग: पुरुष
शुभ रत्न: लाल मूंगा
शुभ रंग: गहरा लाल
शुभ अंक: 9
देवता: गणपति, हनुमान
वैदिक मंत्र: धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम।।
दान: तांबा, गेहूं, घी, लाल कपड़ा, चंदन, मसूर की दाल
मुख्य गुण: मंगल एक युद्धप्रिय ग्रह है — शुष्क, अधिनायकवादी, एकछत्र शासन का प्रतीक। यह क्रियाशीलता, विस्तार और बल के साथ चौपाया जीवों का प्रतिनिधि माना जाता है यह विस्तार, सत्ता और क्रियाशीलता का प्रतिनिधित्व करता है।
मंगल ग्रह की भूमिका और विशेषताएं
मंगल व्यक्ति के भीतर छिपी ताकत और कमजोरी, दोनों को उजागर करता है यह प्रक्रिया कई बार व्यक्ति को उग्र बना देती है, पर वास्तव में यह मंगल की सबसे बुनियादी भूमिका होती है। अग्नि का स्वभाव विस्फोटक रूप से बाहर आना है उसे अंदर दबाया नहीं जा सकता वह सभी अशुद्धि व् मैल को जलाकर भस्म कर देती है उसी प्रकार मंगल भी वह अग्नि है जिसकी प्रवृत्ति चीज़ो को सतह पर लाने की है व् इस दौरान वह लक्ष्य प्राप्ति में आने वाले सभी अवरोधों को नष्ट कर देता है। पेशे की बात करे तो सेना, दन्त चिकित्सक, सर्जन, कसाई, नाई, शिकारी मंगल ग्रह से सम्बंधित पेशे है।
मंगल के प्रभाव से व्यक्ति में में महत्त्वाकांक्षा, अहंकार, अग्नि जैसी तीव्रता, आवेग और कठोरता होती है, लेकिन इसका कारण यह है कि वह उत्साह से अपने कार्यो को पूर्ण करता है वह अपने भीतर छिपी ऊर्जा को दूसरों की भलाई के लिए लगाना चाहता है। वह एक योग्य परन्तु क्रूर सेना अध्यक्ष की तरह बन जाता है किन्तु बेफजूल में विवाद में नहीं उलझता केवल उचित कारण होने पर ही लड़ाई में पड़ता है।
मंगल वह ग्रह है जो भीतर छिपे रोगों और गुणों को सामने लाता है। सर्जिकल ऑपरेशन, दुर्घटनाएं, ज्वालामुखी विस्फोट, विद्रोह, युद्ध इत्यादि आतंरिक उथल-पुथल का बाह्यीकरण है यदि कुंडली में मंगल की स्थिति अच्छी है तो इसके विनाशक गुणों में बदलाव हो जाता है व् केवल अच्छे व् साहासिक गुण ही देखने को मिलते है। इस व्यक्ति का वासना में झुकाव नहीं होता व् वह वीर, विजेता और धर्म रक्षक बन सकता है जब मंगल उच्च स्थिति में होता है, तो वह व्यक्ति को साहसी और अजेय स्वभाव प्रदान करता है — ऐसा स्वभाव जो न डर से प्रभावित होता है और न ही खतरे से। वह किसी उद्देश्य के लिए अपने प्राणों को भी जोखिम में डाल सकता है, फिर भी अपने तरीके से विवेकशील होता है।
मंगल भक्ति, हिम्मत और ताकतवर व्यक्तित्व प्रदान करता है। मगल को भूमिपुत्र कहते है मंगल ब्रह्मांड और इंसानों दोनों पर असर डालता है, और इसका स्रोत पृथ्वी की ऊर्जा होती है। मंगल की ऊर्जा यदि सही से उपयोग हो जाये तो यह सृजन करती है और व्यक्ति को बहुत अधिक रचनात्मकता प्रदान करती है यदि मंगल की ऊर्जा सही न होने पर व्यक्ति को बर्बाद भी कर सकती है मंगल से प्रभावित व्यक्ति से लोग जल्दी ही असहज हो जाते है चाहे वह आक्रामक व्यवहार न भी कर रहा हो।
कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति और उसका विश्लेषण
कुंडली में मंगल लग्न, छठे व् दसवें अच्छा माना गया है लग्न का मंगल व्यक्ति को नौजवान व् ऊर्जावान बनाता है। व्यक्ति के छठवे भाव में मंगल होने पर उसके कार्यो में दुश्मनो द्वारा बाधा उत्त्पन्न करने की चालें स्वतः ही नाकाम हो जाती है। जो लोग आध्यात्मिक रास्ते पर हैं, उनके लिए छठे भाव में मंगल होना प्रकृति की सूक्ष्म ताकतों पर नियंत्रण पाने में मदद करता है। दसवें भाव का मंगल व्यक्ति को महत्वाकांक्षी और कार्यो में कुशल बनाता है उसमे एक लीडर की योग्यता पायी जाती है।
यदि व्यक्ति की कुंडली में मंगल महत्वपूर्ण व् अच्छा है तो वह वैज्ञानिक अनुसंधान व् अविष्कार के चैत्र में अच्छा करता है वह प्रकृति में छुपे हुए नए रहस्यों को उजगार करता है वह एक समझदार व्यक्ति होता है जो जीवन के रहस्यों को जानने और नई जगहों में कुछ नया करने के लिए जोश से भरा रहता है। वह अपने शरीर और इंद्रियों पर अच्छा नियंत्रण रखता है।
शनि व् मंगल का एक साथ होने से मंगल की ऊर्जा अवरोधित हो जाती है जिससे व्यक्ति की सोच विकृत हो सकती है जो मंगल की मूल प्रकृति के विपरीत है। बृहस्पति का साथ मंगल को मजबूती प्रदान करता है बृहस्पति मंगल की प्रचंडता को नियंत्रित कर उसे आध्यात्मिक दिशा देता है जिससे व्यक्ति द्वारा किये गए प्रयासों में सफलता मिलती है। बृहस्पति का साथ मिलने पर मंगल के अच्छे फलो में वृद्धि हो जाती हैं। सूर्य और मंगल की ऊर्जा आपस में अच्छी तरह मिलती है। मंगल और चँद्रमा एक साथ मानो बल व् ज्ञान का संगम जोकि व्यक्ति को अच्छे परिणाम देता है। मंगल व् बुध का एक साथ होने पर ये एक दूसरे को बलि कर देते है मंगल व्यक्ति को ऊर्जावान व् बुध अच्छा रणनीतिज्ञ बनाता है। शुक्र के साथ मंगल मिलकर तीव्र आकर्षण और गहरी चाहत पैदा करता है
यदि मंगल शुभ स्थिति में हो, तो जातक में आत्मविश्वास, धैर्य, वीरता, पराक्रम, साहस, संघर्षशीलता, तीक्ष्ण बुद्धि तथा प्रगति की अदम्य भावना उत्पन्न होती है परंतु जब मंगल पीड़ित या नीच भाव में स्थित हो, तो व्यक्ति के स्वभाव में अधैर्य, क्रोध, अविवेक, झगड़ालूपन तथा अति आवेगशीलता प्रकट हो सकती है। ऐसी स्थिति में खसरा, गलगंड, रक्तस्राव संबंधी विकार तथा सर्दी, ज्वर एवं एलर्जी की प्रवृत्ति भी देखी जा सकती है।