बुध ग्रह की वैदिक ज्योतिष में जानकारी

बुध सूर्य के निकटम ग्रह है यह युवा, बुद्धिवान व् तेज़ ग्रह है जो सूर्य का चक्कर लगभग ८८ दिनों में पूर्ण करता है। बुध एक गर्म ग्रह है जिसका वातावरण अन्य ग्रहो की तुलना में अस्थिर है जो निरंतर बदलता रहता है। बुध ग्रह व्यक्ति को एक कुशल वक्ता बनाता है जिससे हम अपने विचारो को सही रूप में दुसरो के समक्ष प्रकट करते है बुध मिथुन व् कन्या राशि का स्वामी ग्रह हैं यह शिक्षा, वाक्पटुता, ललित कला में दक्षता, वाणी की चतुरता, मामा, ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता, चतुराई और यांत्रिक कलाओं से संबंधित होता है। बुध हमारे विद्या अर्जन, तथ्य जल्दी समझने के सामर्थ्य व् त्वरित निर्णय क्षमता को दर्शाता है। बुध को ईश्वर का सन्देशवाहक कहा गया है जो परमात्मा की कृपा आप तक पहुंचाता है। बुध को आनंद व् मजाक पसंद है समान्यतः बोलने के प्रवाह और लहज़े से आपके बुध ग्रह की स्थिति का पता लग जाता है।

बुध राजसिक ग्रह है जो व्यक्ति में सक्रीय स्वाभव के साथ दबंगता भी उत्त्पन्न करता है। यह बुद्धि, वाणी, तर्कशक्ति व् व्यापार का कारक ग्रह है यदि व्यक्ति की कुंडली में बुध मुख्य ग्रह के रूप में हैं तो उसकी छोटी-छोटी यात्राएं होती रहेगी व् ऐसा व्यक्ति नयी परिस्थियों में अपने आपको बहुत जल्दी ढाल लेता हैं इनकी गणित, इंजीनियरिंग के कार्य, गुप्त विज्ञान आदि में अधिक रूचि होती हैं यदि पेशे की बात करें तो सेल्समेन, एजेंट, वक्ता, सचिव, लेखक, व्यापारी और भाषाविद् आदि इनके अंतर्गत हैं व्यक्ति की बोलचाल और सुघने की इन्द्रि बुध ग्रह के अंतर्गत हैं। बुध द्विस्वभाव, धुर्वीकरण और बुद्धिमत्ता को दर्शाता है जबकि द्विस्वभाव इसका प्रमुख चरित्र है बुध का स्वयं कोई विशेष व्यक्तित्व नहीं है परन्तु यह जिस भी अन्य ग्रह के साथ हो उसके जैसा ही व्यक्तित्व अपना लेता है। बुध सीधे तौर पर व्यक्ति की बुद्धि, दिमाग,तंत्रिका तंत्र, श्वसन तंत्र, थयरॉइड और किसी चीज़ को समझने के क्षमता से जुड़ा ग्रह है।

बुध ग्रह के गुण

मित्र ग्रह: सूर्य, शुक्र

शत्रु ग्रह: चँद्रमा

सम ग्रह: शनि, मंगल, गुरु

राशि स्वामी: मिथुन, कन्या

मूलत्रिकोण राशि: कन्या 15॰-20॰

उच्च राशि: कन्या

नीच राशि: मीन

दिशा: उत्तर

लिंग: नर नपुंसक

शुभ रत्न: पन्ना, गोमेद

शुभ रंग: हरा, भूरा, पेस्टल शेड्स

शुभ अंक: 5, 14, 23

देवता: भगवान् नारायण

वैदिक मंत्र: प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्। सौम्यम् सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्राणाम्यहम्॥

दान: चीनी, हरे कपड़े, मूंग, कपूर, तारपीन का तेल

मुख्य गुण: विद्या कारक, बंधु कारक, जनन कारक।

बुध ग्रह की विशेषता

बुध ग्रह व्यक्ति के सीखने और समझने के क्षमता पर प्रभाव रखता है व्यक्ति को कला में कुशलता प्रदान करता है। बुध ग्रह व्यक्ति को धार्मिक अनुष्ठानों की अच्छी समझ और ध्यान और रिसर्च के क्षेत्र में सटीकता और निपुणता प्रदान करता है जिससे विद्वानों से सम्मान की प्राप्ति होती है। बुध ग्रह व्यक्ति की सोच को धरातल पर उतराने में सक्षम करता है क्योकि बुद्धिमत्ता का परिचय किसी चीज़ को कल्पना से वास्तविक्ता में लाने से है। बुध व्यक्ति को किसी तथ्य को अत्यंत गहराई तक जानने के लिए प्रेरित करता है मनुष्य का दिमाग बुध के प्रभाव में किसी भी बाधा से बाधित न होकर स्वयं से ही बाधित रहता है अतः एक ही समय में परस्पर दो विरोधी सोच एक साथ होती है जिससे इसका द्विस्वभाव साफ़ प्रकट होता है। बुध भगवान के दूत की तरह है उनके और हमारे विचारो का आदान-प्रदान करता है।

बुध ग्रह वार्ता सम्बंधित ग्रह हैं और व्यक्ति के बुद्धिमत्ता के स्तर दर्शाता हैं कई परीक्षाओ से गुजारकर बुध व्यक्ति को उसके लक्ष्य की प्राप्ति करवाता है बुध के प्रभाव से व्यक्ति जल्दी से अपने कार्यो के लिए दुसरो की सलाह लेना पसंद नहीं करता बल्कि जनून व् पूर्वाग्रह की भावना अधिक होती है जो उसके मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करती है। बुध भौतिक वस्तुओं को एक गहरे, सूक्ष्म स्तर की ऊर्जा में बदलने की क्षमता रखता है और हमारे भीतर छिपे प्रकाश को उजागर करता है। यह गूढ़ ज्ञान और आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर करता है यह एक ऐसा पात्र है जिसमें दिव्यता का अमृत बरसता है।

बुध की कृपा से व्यक्ति को गहराई से सोचने, तर्क करने और जटिल विचारों को समझने की शक्ति मिलती है। इसके प्रभाव से व्यक्ति वेदांत, उपनिषद और योग जैसे उच्च ज्ञान में रुचि लेने लगता है और आध्यात्मिक गहराइयों में उतर सकता है। बुध प्रधान व्यक्तियों की सच्ची परिपूर्णता इसी में निहित है कि वे अपने आंतरिक अस्तित्व की रहस्यमयी गहराइयों में उतरें, और वहां से प्रकृति के गुप्त रहस्यों को खोजकर बाहर लाएँ। यह एक गहन आत्म-अन्वेषण की यात्रा होती है, जिसमें बुद्धि के साथ साथ विनम्रता, लचीलापन और पूर्वाग्रहों से मुक्ति अत्यंत आवश्यक है।

बुध ग्रह का कुंडली पर प्रभाव

बुध वास्तव में एक ऐसा ग्रह है जिसमें कई विरोधाभासी गुण होते हैं फिर भी, इसकी कुछ विशिष्ट विशेषताएं इसे ब्रह्मांडीय संरचना में अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती हैं। यह सूर्य की दिव्य ज्योति को माध्यम बनाकर संपूर्ण सृष्टि में परावर्तित करता है। बुध की स्थिति चंद्रमा के साथ अनुकूल नहीं होती। जब बुध चंद्रमा के बहुत समीप होता है, तो उसकी शक्ति काफी हद तक क्षीण हो जाती है। जब बुध सूर्य के बहुत निकट होता है, तो उसकी शक्ति इतनी अधिक दब जाती है कि व्यक्ति अत्यंत बुद्धिमान तो बनता है, लेकिन वह बाहरी व् अंदरूनी संसारों के बीच संतुलन बनाने में कठिनाई महसूस करता है।

बुध व् शुक्र सूर्य के निकटम ग्रहो में है अतः सूर्य, बुध व् शुक्र आपस में एक विशेष सम्बंध रखते है हालांकि बुध या शुक्र के सूर्य से ज्यादा निकट होने पर ये अत्यधिक ऊर्जा को सहन नहीं कर सकते व् अस्त हो जाते है। दूसरी ओर शुक्र प्रकृति के आध्यात्मिक नियमों को अनुभव और अंतर्ज्ञान के माध्यम से समझने की शक्ति देता है। यह ग्रह व्यक्ति को सौंदर्य, प्रेम, करुणा और समरसता के माध्यम से उस दिव्य नियम को समझने की क्षमता प्रदान करता है जो सृष्टि में कार्य कर रहा है।मंगल और बुध ग्रह में बना सम्बन्ध भी अच्छा नहीं है क्योकि मंगल शारीरिक गतिविधि, लगन व् लक्ष्य प्राप्ति करने के लिए अतिउत्साह प्रदान करता है जबकि बुध बुद्धिमत्ता, विचारो और सामाजिक रिश्तो आदि से जुड़ा है जो परस्पर भिन्न है मंगल व्यक्ति की कुंडली में बुध को प्रभावित तो करता है परन्तु अंततः बुध अपनी प्रवृति के प्रभाव प्रदान करेगा
यदि ग्रह शुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति जिज्ञासु, हास्य भावना, विश्लेषणात्मक सोच वाला होता है और विचारों को शीघ्रता से समझने की क्षमता रखता है।
यदि ग्रह अशुभ स्थिति में हो, तो एकाग्रता की कमी, अस्थिरता और बेचैनी हो सकती है, जिसे संतुलित करना आवश्यक होता है। व्यक्ति में चालाकी, शरारत, घमंड, अधिक बातूनी होना, अजीब व्यवहार, चंचलता, हकलाना, वाणी में दोष, तर्क में भ्रम, बोली में अटकाव और मानसिक अस्थिरता देखी जा सकती है। रोगों में तंत्रिका संबंधी विकार, नेत्र रोग, गले में खराश, खून की कमी (एनीमिया) और खुजली शामिल हो सकते हैं।