जानिए नवतारा चक्र (nakshatra tara chakra) गणना : तारा चक्र कैलकुलेटर

तारा चक्र प्रणाली में, 27 नक्षत्र 9 श्रेणियों में विभाजित हैं: जन्म (Janma Tara), सम्पत(Sampat Tara), विपत(Vipat Tara), खेस्मा(Kshema Tara), प्रतिरी(Pretyeri Tara), साधक(Saadhak Tara), वध(Vadha Tara), मैत्री(Maitree Tara), आधी-मैत्री(Adhi-Maitree Tara)। जिस नक्षत्र में चंद्रमा को जन्म के समय होता है उसे प्रारंभिक बिंदु के रूप में लिया जाता है और जिसे "जन्मा नक्षत्र" कहा जाता है। यह नक्षत्र नक्षत्र तारा चक्र का प्रारंभिक बिंदु है। इस चक्र का उपयोग विमोत्तोत्री दशा के परिणामों के साथ-साथ व्यक्ति के व्यक्तिगत मुहूर्ता चार्ट को बनाने के लिए किया जाता है। विपत, प्रतित्यत्री और वध बुरे हैं जो की जनम नक्षत्रा से 3, 5 वें और 7 स्थान पर होते है वध तारा अधिक खतरनाक है। ज्यादातर मौत वध तारा चक्र में होती हैं। इस अवधि में कई लोगों को बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं आती हैं





नवतारा जन्म नक्षत्र से शुरू होते है: 1. जन्म नक्षत्र या जन्म तारा , 2. सम्पत तारा , 3. विपत तारा, 4. कशेमा तारा , 5. प्रत्यायक तारा , 6. साधक तारा , 7. वध तारा, 8. मित्र तारा, 9.अति-मित्र तारा सबसे पहले आइए यह देखते हैं कि तारा नाम का यह कूट वास्तव में होता क्या है। प्रत्येक जन्म कुंडली में चन्द्रमा सताइस नक्षत्रों में से किसी न किसी नक्षत्र में उपस्थित होते हैं जिसे जातक का जन्म नक्षत्र कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष सताइस नक्षत्रों को नौ ताराओं में विभाजित करता है जिसकी गणना जातक के जन्म नक्षत्र से इस प्रकार की जाती है। जातक के जन्म नक्षत्र को पहला तारा माना जाता है और इसे जन्म तारा कहा जाता है। जातक के जन्म नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र को सम्पत तारा कहा जाता है। जातक के जन्म नक्षत्र से तीसरे नक्षत्र को विपत तारा कहा जाता है। जातक के जन्म नक्षत्र से चौथे नक्षत्र को क्षेम तारा कहा जाता है। जातक के जन्म नक्षत्र से 5वें नक्षत्र को प्रत्यरि तारा कहा जाता है। जातक के जन्म नक्षत्र से 6वें नक्षत्र को साधक तारा कहा जाता है। जातक के जन्म नक्षत्र से 7वें नक्षत्र को वध तारा कहा जाता है। जातक के जन्म नक्षत्र से 8वें नक्षत्र को मित्र तारा कहा जाता है। जातक के जन्म नक्षत्र से 9वें नक्षत्र को अति मित्र तारा कहा जाता है। विपत, प्रतिरी और वध नक्षत्र जीवन में कठिनाइयों का निर्माण करते हैं। जो ग्रह, प्रत्यारी तारा और वध तारा में मौजूद है शुभ नहीं हैं।

जन्म तारा : जन्म के समय में मौजूद जोखिम, जन्म प्रक्रिया में खतरे, स्वास्थ्य, दिमाग इत्यादि से सम्बंधित खतरा।
सम्पत तारा : धन और समृद्धि
विपत: खतरे, आपदाएं, दुर्घटनाएं, दुर्भाग्य
क्षेम तारा : ठीक है, शांति, शुभ घटनाओं
प्रतियक तारा : बाधाएं और विफलताओं
साधक तारा : उपलब्धियां, सफलता, जीवन में वृद्धि, स्थिति में सुधार
वध तारा : जीवन, मृत्यु, गंभीर बीमारियों, आपदाओं और दुर्भाग्य का खतरा
मित्र तारा : चिंता से मित्रता, सहायता, समर्थन, खुशी और स्वतंत्रता
आदी-मित्र तारा : अंतरंग दोस्ती या रिश्ते, खुशी की महान भावना, आसानी से जीवन जीना, आरामदायक और आराम से रहना।

Nakshatra Tara Chakra
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति अश्विनी नक्षत्र में पैदा होता है, तो उसका जन्म नक्षत्र अश्विनी है। उसके बाद भर्णी नक्षत्र सम्पत है। उसके बाद कृष्णिका नक्षत्र विपत है। सभी विवरणों के लिए नीचे दी गई तालिका देखें:

Tara Chakra

Nakshatra 1

Nakshatra 2

Nakshatra 3

Nakshatra Lord

1

Janma

Ashwini

Magha

Mool

Ketu

2

Sampat

Bharni

Poorva Phalguni

Poorva Shadha

Venus

3

Vipat

Kruttika

Uttara Phalguni

Uttara Shadha

Sun

4

Kshema

Rohini

Hasta

Sharavan

Moon

5

Pretyeri

Mruga

Chitra

Dhanishtha

Mars

6

Saadhak

Adra

Swati

Shatataraka

Rahu

7

Vadha

Punarvasu

Vishakha

Poorva Bhadrapada

Jupiter

8

Maitree

Pushya

Anuradha

Uttara Bhadrapada

Saturn

9

Adhi-Maitree

Ashlesha

Jyeshtha

Revati

Mercury

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