नौ ग्रहों की संपूर्ण जानकारी वैदिक ज्योतिष में
ग्रह वैदिक ज्योतिष का एक अनिवार्य भाग है। आकाश में गतिशील खगोलीय पिंडो का पृथ्वी पर निवास करने वाले प्राणियों पर जो प्रभाव पड़ता है उसी के अध्ययन से ज्योतिष का सम्बन्ध है। वैदिक ज्योतिष में ७ ग्रह और २ छाया ग्रह माने गए है जिन्हे सामूहिक रूप से नवग्रह कहा जाता है। नवग्रहों के नाम सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु है जिनमे पृथ्वी से दूरस्थ शनि और निकटतम चंद्रमा है जोकि पृथ्वी का एक उपग्रह है। हमारे सौरमंडल में सूर्य ग्रहों का राजा है व् सभी ग्रह सूर्य के गुरुत्वार्षण के प्रभाव में होने के कारण सूर्य के चारो ओर चक्कर काटते है परन्तु वैदिक ज्योतिष में पृथ्वी को स्थिर मानकर उसके सापेक्ष ग्रहों की गति का आंकलन करते है जिससे चालयमान ग्रहों के प्रभाव बदलते रहते है। आइये इस पेज के माध्यम से नौ ग्रहों का वैदिक ज्योतिष में आप उल्लेख प्राप्त करेंगे और ये ग्रह किस तरह से हमे प्रभावित करते है।
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों का तात्पर्य केवल भौतिक खगोलीय पिंडो से ही नहीं है बल्कि इन ग्रहों से जुडी हुई अदृश्य ऊर्जाओं से भी है जो ग्रहों के प्रभावों को नियंत्रित करती है। बहुत से लोग इन सभी चीज़ो से अनभिज्ञ है जो सीधे तोर पर ग्रहों को वर्तमान वैज्ञानिक पहलुओं से जोड़कर देखते है जोकि एक नया भ्रम पैदा करते है। जो दिखाई दे रहा है वोही सत्य है इस आधार पर किसी तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता है। वैदिक ज्योतिष नो ग्रहों के पीछे उन अदृश्य ऊर्जाओं को समझती है जो मनुष्यो की भौतिक समझ के परे है जो व्यक्ति के भाग्य और पृथ्वी पर होने वाली घटनाओ का मार्गदर्शन करतीं हैं। ये दिव्य ऊर्जाएं योग और आध्यात्मिक विज्ञानों (मैटाफिज़िक्स) के अंतर्गत अध्ययन किए जाने वाले नियमों के अनुसार काम करती हैं। ज्योतिष एक सुव्यवस्थित आध्यात्मिक विज्ञान प्रणाली का हिस्सा था। नवग्रह खगोलीय ऊर्जा का स्तोत्र है इनके द्वारा विभिन्न प्रभाव हमारे पर पड़ता है। ग्रहों के प्रभाव, राशियों, नक्षत्रो व् कुंडली भावो के द्वारा एक व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित करते है। व्यक्ति के जीवन पर ग्रहों के प्रभाव का सही आंकलन करने के लिए सभी ग्रहों की मूल ऊर्जा को समझना आवश्यक है और तद्पश्चात विभिन्न परिस्थियों में ग्रह ऊर्जाओं में होने वाले बदलावों का आंकलन कर ही वैदिक ज्योतिष में सही कथन किया जाता है।
ग्रह के प्रभाव का परिणाम उसकी मूलभूत प्रकृति व् अधिकार क्षेत्र पर निर्भर करता है यदि नवग्रहों के अधिकार क्षेत्र की व्यापक रूप में बात करे तो सूर्य हमारी आत्मा है चंद्रमा व्यक्ति के मन का स्वामी है मंगल का शक्ति व् बुध ग्रह का वाणी पर प्रभुत्व है बृहस्पति हमारे ज्ञान और सुख को दर्शाता है इसी प्रकार शुक्र आतंरिक शक्ति, विलासिता और शनि दुःख को नियंत्रित करता है।
छाया ग्रह
वैदिक ज्योतिष में ७ ग्रह और २ छाया ग्रह माने गए है खगोलशास्त्र के अध्धयन में सूर्य एक तारा है परन्तु ज्योतिष में सूर्य को ग्रह की संज्ञा दी गयी है जो अग्नि तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है और सूर्य के प्रकाश से चंद्रमा दीप्तिमान है छाया ग्रह सूर्य पथ और चंद्रमा ग्रह के पथ के दो कटान बिंदु है जो चंद्रमा के द्वारा ऊपर की ओर काटने पर राहु ग्रह और नीचे की और काटने से केतु ग्रह प्राप्त होते है ये केवल गणितीय बिंदु है और वैदिक ज्योतिष फल देने में महत्वपूर्ण ग्रहो में शामिल है।
ग्रहों की मौलिक विशेषताएँ
ग्रह हमें अनेको प्रकार से प्रभावित करते है सभी ग्रहों का भिन्न स्वभाव और कार्य है व्यक्ति के आचरण, चरित्र, मस्तिष्क पर ग्रहो की मूल विशेषता का असाधरण प्रभाव रहता ही है जिसे कुंडली के माध्यम से विचार करते है। आये जाने नवग्रहों के कुछ तथ्य, जैसे-जैसे ये ग्रह राशियों से गुजरते हैं, वे हमारी भावनाओं, कार्यों और कर्म पथ को प्रभावित करते हैं।
सूर्य
सूर्य हमारी आत्मा है यह जीवन ऊर्जा है जो पृथ्वी के प्रत्येक कण को आत्मा से भर देता है और जिसके न होने पर जीवन का अंत हो जाता है। नवग्रहों में सूर्य राजा है और व्यक्ति का बल और आत्मविश्वास कितना है उसकी कुंडली में सूर्य से ही तय होता है। सनातन धर्म में अपनी खोयी हुई भौतिक शक्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए सूर्य का पूजन नियमित रूप से किया जाता है सूर्य हमारा स्वयं का, पिता और आजीविका का कारक ग्रह है
चँद्रमा
वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा भविष्यावाणी के लिए अत्यंत मंतवपूर्ण ग्रह है। चंद्रमा सौरमंडल की रानी है। सूर्य से जीवन-शक्ति प्राप्त करके, चंद्रमा इसे पृथ्वी पर निर्देशित करता है, और जीवन के विभिन्न रूपों की अभिव्यक्ति की मातृवत देखभाल करता है। चँद्रमा व्यक्ति को सूर्य के सामान चमकदार व्यक्तित्व प्रदान करता है यह मन के विचारो, घर, करियर में जल्दी बदलाव को बढ़ावा देता है चँद्रमा हमारे मन, माता और शरीर को दर्शाता है यह आपके परिवार, घर और गुप्त प्रसंग से सम्बंधित ग्रह है
मंगल
नवग्रह के कमांडर-इन-चीफ के रूप में मंगल ग्रह है मंगल प्रत्येक मनुष्य में प्रवाहित होने वाला रक्त है, लेकिन यह उससे कहीं अधिक है। प्रत्येक जीवित इकाई में गर्मी और अव्यक्त अग्नि का प्रतिनिधित्व मंगल द्वारा किया जाता है। मंगल रचनात्मक और विध्वंसात्मक दोनों प्रकार की ऊर्जा से युक्त ग्रह है और हमारे भाई-बहन का करक ग्रह है मंगल ग्रह महत्वाकांक्षा, इच्छाओं, कामुकता, साहस, यांत्रिक क्षमता और शारीरिक शक्ति के स्तर का भी प्रतिनिधित्व करता है। मंगल ग्रह से प्रभावित लोग जीवन को अत्यधिक उत्साह के साथ देखते हैं और सोचने से पहले कार्य करने की प्रवृत्ति रखते हैं।
बुध
बुध हमारी आत्मा-बुद्धि-मन से जुड़ा ग्रह है बुद्धि के विकास में बड़ा योगदान बुद्ध ग्रह द्वारा प्रदान किया जाता है। बुध द्वैध स्वभाव वाला ग्रह है अतः बुध अपने संगत ग्रहो का सकारात्मक अथवा नकारात्मक प्रभाव आत्मसात कर लेता है और उसी के अनुरूप फल प्रदान करता है। बुध ग्रह व्यक्ति के बात करने के कौशल और बुद्धिमत्ता के स्तर को दर्शाता है व्यक्ति के बोलने का प्रवाह, बेचैनी, घूमने-फिरने की प्रवृति, चालाकी और हाज़िर जवाबी बुध ग्रह से ही देखना चाइये वैदिक ज्योतिष में अच्छा ज्योतिषी बनने की लिए आपका बुध ग्रह मजबूत होना चाहिए जिससे आप कुंडली सही से समझकर उसके सार की व्याख्या सामने वाले से सही से कर सके
बृहस्पति
बृहस्पति हमारे जीवन के उन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है जिनके माध्यम से हम सीखते हैं और बढ़ते हैं। बृहस्पति संतान का कारक ग्रह माना जाता है। यह हमारे द्वारा अर्जित किसी भी चीज़ का प्रतिनिधित्व करता है जो तब हमारी संपत्ति या पूँजी बन जाती है। बृहस्पति कुंडली के जिस भी घर में होता है, उसमें भौतिक और आध्यात्मिक विस्तार दोनों लाता है यह ग्रह ज्ञान, शिक्षा, यात्रा, धर्म, न्याय व्यवस्था, और विचारों के आदान-प्रदान जैसे सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करता है। यह ग्रह व्यक्ति के सामाजिक, मैत्री, नैतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक गुरु का भी प्रतिनिधित्व करता है जो उसके जीवन को प्रभावित करता है।
शुक्र
शुक्र व्यक्ति को चुम्बकत्व, आकर्षण शक्ति अनुग्रह, सौंदर्य और मिलनसारिता प्रदान करता है। शुक्र हमारे सौरमंडल का चमकदार दिखाई देने वाला ग्रह है हम इसे सूर्य के साथ उगता और अस्त होता हुआ देख सकते है। यह ग्रह प्रेम, जुनून, आनंद और सामान्य संतोष की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र यह भी दर्शाता है की व्यक्ति कितना धन अर्जित करेगा और उसके पास कितने वाहन होंगे।
शनि
शनि को न्याय का ग्रह माना जाता है। इसे कर्मफल दाता भी कहा जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति के कर्मों के अनुसार ही फल देता है। शनि बहुत धीमी गति से चलने वाला ग्रह है, इसलिए इसका प्रभाव धीमी गति से प्राप्त होता है। यह ग्रह धैर्य, विलंब और निर्देश का प्रतीक है। शनि जनता, सेवक और आम जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस कुंडली में व्यक्ति के जीवन में कार्य और जिम्मेदारियाँ शामिल हैं।
राहु
राहु कुंडली में किसी भी राशि का स्वामी नहीं है परन्तु कहा जाता है की शनि ग्रह जैसे ही गुण धर्म रखता है। राहु हमारे तंत्रिका तंत्र से जुड़ा ग्रह है। राहु अत्यंत तकनीकी कौशल और प्रतिभा प्रदान करता है। यह भौतिकवाद का प्रतिनिधित्व करता है,आकर्षण को जन्म देता है, और जिससे भी यह संपर्क में आता है, उसकी तीव्रता को बढ़ा देता है।
केतु
केतु राहु की तरह ही केतु ग्रह का किसी भी राशि पर स्वामित्व नहीं है और शास्त्रों में इसे मंगल ग्रह के गुणों से युक्त बताया गया है। केतु जातक को तीव्र कल्पनाशक्ति, गहन आध्यात्मिक झुकाव और दुनिया से अलग हटने की प्रवृत्ति देता है। यह ग्रह भ्रम और लक्ष्यहीनता का सूचक है। जिन क्षेत्रों में यह प्रभाव डालता है, वहाँ व्यक्ति को निर्णय लेने में कठिनाई और आंतरिक संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।